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ना मंदिर सजा ना घर सजा
नवरात्र यूँ ही चले गए
जब दिल ही खुश ना हो मेरा
पूजा भी क्यों अब मैं करूँ
किस बात भगवान् है
क्यों याद अब मैं करूँ कुम्हे
तुमने किया जो गर है सही
तो मैं भी फिर अब हूँ सही
क्या याद तुमको है नहीं
उसने भी तुम्हे कितना मान दिया
बदले में तुमने क्या दिया
साथ अपने ले गए
मेरा तो फिर भी ठीक है
बेटे से माँ को किया अलग
म…Read More -
कितना कुछ कहने का दिल करता है
कितना कुछ सुनने का दिल करता है
अब ना कहने को मुझपे लफ्ज़ हैं
ना सुनने को तुम कहीं पास हो
दौर कुछ ऐसा है कि राह भी दिखती नहीं
ये सिलसिला कब तक चलेगा
ना मैं जानूं ना तुम जानो
फिर कब मिलेंगे क्या पता
क्या राह भी कहीं है कोई
क्या मोड़ ऐसा है कोई जो
फिर मिलाये मुझसे तुम्हे
हो भी अगर तो क्या पता
क्या पहचान भी पाओगे मुझे -
Varun Rastogi changed their profile picture
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कभी राह में थक कर बैठ जाने का मन करता है
बढे क़दमों को रोक लौट जाने का मन करता है |
जाऊँ भी तो कहाँ जाऊँ खुद को नहीं पता
जो राहें दिखाता था वो रहबर भी नहीं रहा |
मुश्किलें तब भी थीं मुश्किलें आज भी हैं
वो भी टल गयीं थीं ये भी नहीं रहेंगी
साथ खड़े होकर ये कहने वाला ही नहीं रहा || - Load More Posts